सरकार ने वर्ष 2020 के लिए पद्म पुरस्कारों का ऐलान कर दिया है। 118 लोगों को पद्मश्री देने का ऐलान किया गया है। इनमें चार मप्र के हैं

मालवा की मदर टेरेसा हैं लीला जोशी, डॉ. दाधीच ने शुरू की थी प्रदेश में पहली कथक क्लास, नेमनाथ जैन ने सोया उद्योग को दिया नया आया



 

भोपाल . सरकार ने वर्ष 2020 के लिए पद्म पुरस्कारों का ऐलान कर दिया है। 118 लोगों को पद्मश्री देने का ऐलान किया गया है। इनमें चार मप्र के हैं। इंदौर के समाजसेवी डॉ. नेमनाथ जैन को उद्यमशीलता के लिए और उज्जैन में जन्मे कथक गुरु पुरु दाधीच को कला-संस्कृति में अमूल्य योगदान के लिए यह सम्मान दिया जा रहा है। डॉ. दाधीच ने पंडित बिरजू महाराज के चाचा शंभु महाराज से कथक की तालीम ली। वे देशभर के नृत्य समारोहों में प्रस्तुति दे चुके हैं। वहीं रतलाम की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. लीला जोशी को मालवा की मदर टेरेसा कहा जाता है।


रतलाम का गौरव हैं डॉ. लीला, एनीमिया के खिलाफ सालों से छेड़े हुए हैं जंग


रतलाम| शहर की स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ. लीला जोशी को 82 वर्ष की उम्र में पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। डॉ. लीला जोशी का जन्म 20 अक्टूबर 1938 को रतलाम में हुआ था। 1997 में इनकी मुलाकात मदर टेरेसा से हुई थी, यहां मदर टेरेसा ने उनका हाथ में हाथ लेकर कहा था, हमें आपके जैसी सेवाभावी चिकित्सकों की आवश्यकता है। इसके बाद से ही वे महिलाओं की एनीमिया से होने वाली मृत्यु दर को कम करने में जुट गईं। इसके लिए उन्होंने 12-12-12 अभियान चलाया। यानि 12 साल की उम्र तक या कक्षा 12 तक की बेटियों में 12 ग्राम हीमोग्लोबिन होना चाहिए। आज उन्हें मालवा की मदर टेरेसा भी कहा जाता है। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. प्रणब मुखर्जी ने 2016 में देश की 100 सफल महिलाओं में भी उन्हें सम्मानित किया था। वे आदिवासी अंचल में एनीमिया से पीड़ित महिलाओं का मुफ्त इलाज करती हैं।


रिफ्यूजी बनकर आए थे डॉ. नेमनाथ जैन, सात दशक में इंदौर का दिल जीत लिया


इंदौर  | शहर के समाजसेवी डॉ. नेमनाथ जैन पद्मश्री से सम्मानित होंगे। वे 16 वर्ष की उम्र में  विभाजन के बाद रिफ्यूजी की हैसियत से रावलपिंडी से इंदौर आए थे। यहां उन्होंने नौकरी करते हुए इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। सोयाबीन उद्योग से उन्होंने प्रतिष्ठा प्राप्त की। प्रेस्टिज एजुकेशन फाउंडेशन की स्थापना  की। उनकी उम्र अब 89 वर्ष की हो चुकी है। इन सात दशकों में उन्होंने इंदौर में उद्यमशीलता, आत्मीयता और अपनापन देखा है। उनका कहना है कि यह सम्मान मेरी कर्मभूमि इंदौर, सोयाबीन किसानों और सोया उद्योग को समर्पित है। उन्हें 2019 में आइकॉन ऑफ मप्र सम्मान मिल चुका है। इसके अलावा 1983 में उद्योग-पत्र अवार्ड, 1987 में उद्योग विभूषण, जैन रत्न और जैन शिरोमणि का टाइटल भी दिया गया। वर्ष 2000 में दक्षिण एशिया के लीडिंग जर्नल ऑयल एंड फेट्स इंडस्ट्री ने उन्हें सोया मैन ऑफ द मिलेनियम का टाइटल दिया।


81 वर्ष की उम्र में भी नियमित डेढ़ घंटे नृत्य का अभ्यास करते हैं डॉ. पुरु दाधीच 


उज्जैन | उज्जैन में जन्मे ख्यात कथक नृत्य गुरु डॉ. पुरुषोत्तम दाधीच (पुरु दाधीच) को भारत सरकार की ओर से पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। उज्जैन में 17 जुलाई 1939 को जन्मे डॉ. दाधीच ने 1961 में उज्जैन के माधव संगीत महाविद्यालय में प्रदेश में पहली बार कथक नृत्य की कक्षाओं की शुरुआत की थी। 1972 तक इसी कॉलेज में वह नृत्य के प्राध्यापक रहे। इसके बाद 1972 में वे पीएससी के जरिए चुने गए देश के पहले सहायक प्राध्यापक बने। लखनऊ के भातखंड संगीत महाविद्यालय में 1972 से 1988 के दौरान वे प्रोफेसर आैर विभागाध्यक्ष संगीत व नृत्य विभाग के विभागाध्यक्ष रहे। 1988 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद इंदौर में नृत्य की अकादमी खोली। इलाहाबाद संगीत समिति की ओर से डॉक्टर ऑफ म्यूजिक की उपाधि पाने वाले वह विश्व के पहले नृत्यकार हैं। आज भी नियमित डेढ़ घंटे नृत्य का अभ्यास करते हैं।